मुख्यमंत्री ने सीएनटी/एसपीटी में संशोधन तथा पत्थलगड़ी के मामलों को वापस करने में भरी हामी
- India Plus Tv
- Nov 3, 2022
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राँची : मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने सीएनटी/एसपीटी में संशोधन का विरोध करने तथा पत्थलगड़ी का समर्थन कर रहे असंदिग्ध व्यक्तियों के विरुद्ध दर्ज गुमला थाना कांड सं० - 421/2016 सीआर न० - 1161/16, दिनांक 02/12/2016 की वापसी संबंधी प्रस्ताव पर अपना अनुमोदन दिया है।

सीएनटी/एसपीटी में संशोधन का विरोध तथा पत्थलगड़ी करने के आरोप में गुमला थाना कांड संख्या - 421/2016 में जिन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर मुकदमे दायर किए गए हैं, उनके प्रत्याहरण से संबंधित गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रस्तावित संकल्प प्रारूप को मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने अपनी स्वीकृति दे दी है। मुख्यमंत्री के इस फैसले से गुमला थाना अंतर्गत सीएनटी/एसपीटी में संशोधन का विरोध एवं पत्थलगड़ी करने के क्रम में जिन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई थी, उन्हें अब राहत मिल सकेगी।
आदिवासी समुदाय में पत्थलगड़ी पुरानी परंपरा
झारखण्ड के आदिवासी समुदाय और गांव में विधि-विधान तथा संस्कार के साथ पत्थलगड़ी ( शिलालेख ) की परंपरा शताब्दियों से चली आ रही है। पत्थलगड़ी से मौजा, सीमाना, ग्रामसभा, आबादी और अधिकार की जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। वंशानुगत, पूर्वज और मृत व्यक्ति की याद को संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की परंपरा रही है। कई गांवों में अंग्रेजों या दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीर सपूतों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है। विगत कुछ वर्षों में लोगों ने संविधान में उल्लेखित अनुच्छेदों को पत्थलगड़ी के माध्यम से लोगों को अपने हक़-अधिकारों के प्रति जागरूक करने का मुहीम उठाया था, जो विवाद का कारण बना था। उस समय सूबे में बीजेपी की सरकार थी, जिसका मानना था की पत्थलगड़ी के माध्यम से लोगों को अनुच्छेदों की गलत व्याख्या की जा रही है परन्तु सरकार ने कभी भी सही व्याख्या कर लोगों को जागरूक करने का कोई प्रयास नहीं किया।
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