बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे नर्सिंग होम, निजी क्लीनि, अल्ट्रासाउंड सेंटर, व जांच लैब पर शिकंजा कसने का प्रशासन का दावा निकला खोखला।
- India Plus Tv
- Mar 20
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सीएस का निर्देश पीएचसी प्रभारी अवैध नर्सिंग होम, अल्ट्रासाउंड व जांच घरों को करें चिह्नित
हाल ही में बेतिया के नरकटियागंज सत्यम चाइल्ड हेल्थ केयर में नवजात की मौत पर स्थानीय लोगों ने हंगामा मचाया, जिसके बाद दलालों ने मामले को रफा दफा करने कोशिश की।
दरअसल बेतिया के सत्यम चाइल्ड हेल्थ केयर में इलाज के दौरान रविवार देर शाम एक नवजात की मौत हो गई थी। इसके बाद परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया। इसकी सूचना पर पुलिस भी पहुंची, लेकिन परिजनों ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई। मृत नवजात केहुनिया निवासी सतन पटेल की पुत्री थी। सतन पटेल और नानी मंजू देवी ने बताया कि रूबी देवी को प्रसव पीड़ा होने पर पुरानी बाजार स्थित एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था।
हंगामा की सूचना पर दवा दुकानदार, अल्ट्रासाउंड सेंटर और जांच घर के कर्मी परिजनों को मनाने में जुट गए। अस्पताल कर्मी मौके से गायब थे। मगर बिचौलियों ने परिजनों को समझा कर मामला निपटा दिया।
उधर, सत्यम चाइल्ड हेल्थ केयर के व्यवस्थापक डॉ. सुबोध कुमार ने बताया कि परिजन नवजात को स्वास्थ्य जांच के लिए अस्पताल लाए थे। इलाज किया जा रहा था। स्थिति गंभीर होने पर जिला अस्पताल रेफर किया गया। रेफर के 40 मिनट बाद नवजात की मौत हुई।
बता दे कि यह नर्सिंग होम अवैध तरीके से चल रहा था। नर्सिंग होम सीएस के अनुसार, अनुमंडल अस्पतालों के उपाधीक्षकों और पीएचसी प्रभारियों को अवैध नर्सिंग होम, अल्ट्रासाउंड और जांच घरों को चिह्नित कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। लेकिन हकीकत यह है कि जिले के हर पीएचसी और एसडीएच के आसपास अवैध नर्सिंग होम धड़ल्ले से चल रहे हैं। सरकारी अस्पतालों के अधिकारियों को इसकी जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही लोगों का कहना है दिखावा के लिए छापेमारी होती है। प्रभारी डॉ संजीव कुमार ने बताया कि बच्चे की मौत को लेकर उक्त क्लिनिक की जांच की गई है।चिकित्सक समेत कंपाउंडर फरार थे।
क्लिनिक में दवा समेत अन्य समान मिले है।इससे ज्ञात होता है कि क्लिनिक संचालित था और डाक्टर एस कुमार का बोर्ड भी मिला है।क्लिनिक को सील कर दिया गया है और डाक्टर और कंपाउंडर की पहचान कराई जा रही है।उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। इस वजह से दिनों दिन उक्त फर्जी व्यवसाय फल फूल रहा है. जिसका सीधा असर सरकार के नियम कानून से अनजान अनपढ़ और मुसीबत में फंसकर जान गंवाते देखे जा सकते है.
बिचौलियों के माध्यम से मरीजों को ऐसे बिना रजिस्ट्रेशन के अस्पताल में ऑपरेशन के लिए फंसाया जाता है. सरकारी डॉक्टर होने के बाद भी धड़ल्ले से निजी क्लीनिक भी चल रहे है. नतीजा एक तरफ जहां सरकारी अस्पताल पहुंचे मरीजों को अपने निजी क्लीनिक में इलाज कराया जाता है. वही दूसरी तरफ एक बार चंगुल में फंसे मरीज जब अपना या परिजनों का ऑपरेशन कराने जाते है तो उनसे मनमाना रुपया वसूला जाता है, विभाग को इन्हें शीघ्र ही चिन्हित कर उनके विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए. ऐसे अस्पताल प्रशासन द्वारा झूठा आश्वासन बराबर दिया जाता है, मगर सूत्रों की माने तो यह मौत का कारखाना प्रशासन की मिली भगत से ही चल रहा है।
नगर के अस्पताल रोड समेत अन्य जगहों पर बिना लाइसेंस के अल्ट्रासाउंड का संचालन जारी है. नगर के अस्पताल रोड में कई चिकित्सक बीएएमएस की डिग्री में ऑपरेशन करने का खुला बोर्ड लगाए हुए है. स्थानीय स्तर पर उन पर लगाम कसने की कोई कोशिश नहीं की जाती. जब अनुमंडल या जिला से कोई जांच टीम कार्रवाई के लिए आती है तो स्थानीय सूचना पर उनके शटर व गेट तत्क्षण गिर जाते है. अवैध नर्सिंग व अल्ट्रासाउंड का गोरखधंधा, विभाग मुकदर्शक बनी हुई है।
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